आज अगर हम सर उठा के चारो ऊर देखते है तो हमे केवल गरबे की ही चतदिखाए देती है क्या हम जरा कभे ये सोचते है की इस गरीबे के चलतइ इस दिवाली में जब हमने हजारो रुपये के पटाके जला के नष्ट केर दिए तो एक तरफ न जाने कितनो के घर में चूल्हा तक नाहे जला होगा क्या यह हमारा कर्तव्य नहीं है की पाठको की जगह हम उनके घर में चूल्हा जलवाए अगर आज हमने अपने देश के प्रति जागरूक होकर कदम नहीं उठाये तो हम खुद ही सोच सकते है की कल को हमारा देश किस दिशा की ऊर अग्रसर है
इस लिए मेरे प्रिय दोस्तों आज के इस चोटे से तथ्य को समझने की कोसिस करिये सायद अगले साल हम में से कोई किसी ग़रेब परिवार में एक चिराग दिखाकर अपना औरअपने देश के प्रति कर्तव्य का जागरूक होकर पालन केरे .
धन्यवाद्द आपका अपना साथी...................................................................................
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